Representative image
यह कहानी सत्य घटनाअनुभवो पर आधारित है।
रक्षा बंधन का त्यौहार था , मुझे एक दिन पहले से उन सभी की याद आने लगी जो रोज मुझे भैया बोलती थी
मुझे पता है ज्यादातर लड़कियां हर लड़के को भैया कहकर ही बुलाती है ,कभी कभी बातो बातो में अपने पति को भी भैया बोल देती है
खैर ये कोई बड़ा मुद्दा नहीं क्योंकि उनको सिखाया जाता है कि हर बाहरी लड़के को भैया ही बोलना है तभी शायद
कंडक्टर भईया, ड्राईवर भईया, सब्जी वाले भैया ....जैसे शब्दों की उत्पत्ति हुई ।
मैंने कई बार देखा है कि बहन कह देने पर लड़कियां चिढ़ जाती है और अगर लड़का हैंडसम हो तो चिढ़ना उनके चेहरे से भी झलकता है।
हम लडको का भी हाल ऐसे ही है क्यूट सी लड़की बात करते करते अचानक से भैया बोल देती है तो ऐसा लगता है कि स्वाद से भरी खिचड़ी खाते समय दांत तले कंकड़ आ गया हो
अब वो खिचड़ी कितनी भी अच्छी हो मूड खराब ही कर देती है।
खैर अपनी बात करता हू ।
मेरी कोई बहन नहीं है लेकिन बुआ ,चाची मौसी की लड़कियां मुझे रखी बांधने की रस्म अदा करती है
लेकिन सच तो ये है कि जब मुझे बहन की जरूरत होती है तो कोई नहीं दिखता दूर दूर तक...!
शायद लडकियो को नहीं पता जिनकी बहन नहीं होती वो भैया शब्द को थोड़ा गंभीरता से ले लेते है। वो सोचते है कि शायद वो क्यूट सी लड़की अच्छी बहन ही बन जाए लेकिन लड़कियां तो होशियार होती है वो अच्छे से जानती हैं अपना काम बनाना और लडको को भईया बनाना।
हा मुझे पता है ज्यादातर लडके कुत्ते जैसे होते है कब काट ले क्या भरोसा ....!
तो ज्यादा फ्रेंडली होने की जरूरत नहीं है रोज हमारे अखबार समाज में फैले भाईयो के कारनामे छापते है।
खैर आज का दिन ऐसा है कि जिस जिस का भईया कहना मुझे याद है तो उसकी याद आना तो बनता है।
सबसे ज्यादा याद उसकी आ रही थी जो रोज धमकी देती थी कि अबकी रक्षा बन्धन में वो जरूर राखी बांध ही देगी ।
हा कुछ दोस्त लोग इतने घनिष्ठ होते है की वो सब भाई ही होते है तो उन्हीं दोस्तो में शामिल वो लड़की बहन क्यों नहीं हो सकती।
खैर लडको को दिक्कत बहन बनाने में नहीं है दिक्कत होती है तब जब हमें पता चलता है कि की एक दिन एक जीजा आयेगा जो बहन भी ले जाएगा और बेइज्जत भी कर जाएगा।
क्योंकि समाज में धारणा बनी हुई है लडके वाले ज्यादा इज्जत के हकदार होते है और लडकी वाले ज्यादा बेजजती के
क्योंकि हम सब जानते है कि समाज में मामा शब्द एक गाली जैसे प्रयोग किया जा रहा है ,और साला शब्द तो पता नहीं कब से गाली बना हुआ है
इतिहास उठा कर देख लो कितने ही राजाओं ने अपने ननिहाल की या अपनी पत्नी के गांव की लड़कियां जबरदस्ती उठवा ली।
यहां तक कि पितामह भीष्म भी अंबलिका और उसकी 2 बहनों को ये कह कर उठा ले गए थे कि इस राज्य की सभी राजकुमारियां हस्तिनापुर को ही ब्याही जाती रही है और वही ट्रेंड चलता रहेगा।
2 का ब्याह हुआ पर तीसरी के साथ क्या हुआ हम सब जानते है , आज भी कुछ बदला नहीं है कुछ लडके जीजा बनकर ऐसे फूल जाते है कि उनको अब किसी को भी बेइज्जत करने की इजाजत मिल गई हो
आज भी ननिहाल से लड़कियां इंपोर्ट कराई जा रही है क्योंकि वो सॉफ्ट टारगेट है
ये गजब का चक्रव्यूह हमारे समाज का ही रचा हुआ है
मजे की बात ये है कि जीजा भी सब बनते है और साले भी तो कोई किसी पे ज्यादा सवाल करता नहीं क्योंकि वो खुद भी कही न कही जीजा होने के लाभ के रहा होता है
और लडकियो को तो बस इतना ही बताया जाता है कि पति का घर ही तुम्हारा घर है और तुम पराया धन हो और दुनिया भर की कमजोर करने वाली बाते।
इस चक्कर मै सगी बहन भी कभी जरूरत पड़ने पर भाई के साथ नहीं खड़ी हो पाती
खैर मेरी तो कोई सगी वाली है ही नहीं लेकिन इस सामाजिक संरचना की खामियों को देख कर किसी को बहन बनाने की इच्छा भी नहीं हुई ।
लेकिन जब कोई लड़की भैया बोलती है तो कहीं न कहीं दिल में आवाज उठती है शायद ..." It can be us”
वैसे जानकारी के लिए बता दू
आजकल कुछ अच्छे लोग भी जन्म लेने लगे है
जैसे- बहनों का हक न मारने वाले भाई और बेटियों को समान अधिकार देने वाले पिता
“वो पिता जो लड़की को दहेज में 20 लाख नहीं देते बल्कि उसे 20 लाख की मालकिन बनाते है
लडकियो को पराया धन कहकर दूर नहीं करते बल्कि उसकी पसंद के लडके को भी अपनाते है
ऐसेभाई जो उसे हमेशा सपोर्ट करते है उसकी ताक़त बनकर राखी के वादे को निभाते है।”
लेकिन सत्य तो ये है ऐसे लोग उंगलियों पर गिने जा सकते है और हमारा समाज ऐसे लोगो को प्रोत्साहित भी नहीं करता
क्योंकि सबको पता है जब तक हम किसी को कमजोर होने का भ्रम नहीं पैदा करेंगे तब तक उस पर राज नहीं कर सकेंगे।
ज्यादातर भाई अपनी बहन से वादा करते है कि वो उनकी रक्षा करेंगे जीवन भर ...
लेकिन ऐसा हो नहीं पता लड़की किसी और के घर चली जाती है भाई को उसकी संपत्ति और खुशियों को भक्षक बना दिया
कुछ भाईयो का दिल करता भी है कि सब ठीक कर दू
लेकिन समाजिक चक्रव्यूह से निकल पाना सिर्फ गिने चुने लोगो के लिए ही संभव हो पाता है ।
सच देखा जाय तो ये भी है कि लडको को लड़की की रक्षा करनी है वो भी लडको से ही
जो साबित करता है कि जो किसी का रक्षक बना घूम रहा वो लड़का ही किसी का भक्षक बन सकता है।
वैसे अच्छा खाना किसे नहीं पसंद
ये तो हमारी प्रवत्ति पर निर्भर है कि हम कैसे उसे खाएंगे??
- खुद कमा कर
- मांग कर
- छीनकर
जो सक्षम नहीं वो मांग के काम चला लेते है वो भी ठीक है कम से कम किसी को नुकसान तो नहीं पहुंचाया लेकिन
छीनकर खाने वाले की इज्जत वही ताक़त वाले लोग करते है जो भूल जाते है कि कल कोई और ताकतवर होगा तब उनसे भी चीजे छीन ली जाएंगी।
इस संसार में कुछ भी हमेशा नहीं रहता
खैर मेरा मानना है
प्यार तो प्यार होता है वो चाहे दोस्तो का हो या मातापिता का हो या भाई बहन का या मेरा और धमकी देने वाली का
हर स्थिति में हम जिससे प्यार करते है उसे खुश देखना चाहते है
क्या फर्क पड़ता है कि वो वो मेरी क्या है.......!
खैर भैया कहने वाली लडकियो को बता दू की हमारा रिश्ता उतना ही सच है जितना कि प्रार्थना में कहा गया
“हम सब भारत वासी भाई बहन है”
खैर आज के लिए इतना ही ,चलता हू इसी उम्मीद के साथ की आने वाले 50 सालो में लडकियो की स्थिति सुधरेगी
और लडके रक्षक बने न बने लेकिन भक्षक न बनने की पूरी कोशिश करेंगे ,कोशिश इसलिए कह रहा हूं क्योंकि समाज की बुराइयों से लड़ना होगा खुद के लाभ को किनारे करना होगा।
उम्मीद है कि हम सब पूरी कोशिश करेंगे।
1 Comments
Great😄😄😄,, keep writing
ReplyDelete