भारत में तो लव अर्थात प्रेम करना हमेशा से एक प्रासंगिक मामला रहा है ,मा बाप खुद चाहे जिस हराम खोर को लड़की सौंप दे लेकिन अगर लड़की स्वयं किसी लड़के को पसंद करे तो मा बाप उस लड़के की काबिलियत, और गुण नहीं देखते
उनका पहला प्रश्न होता है
लड़का अपनी ही जाति - बिरादरी का है??
लवजिहाद |
ऐसा नहीं कि लडकी के केस में ऐसा होता है लड़को के साथ भी ऐसा ही होता है वो तो कुछ लड़के सरकारी नौकरी नाम का हथियार पाकर मन की इच्छा पूरी कर लेते है ।
और जो घर वालों के खिलाफ जाकर शादी करते है वो संघर्ष में जिंदगी बिताते है तब जाकर उस काबिल बनते है जहां वे परिवार के सपोर्ट से बीस साल पहले ही पहुंच गए होते मेरा मतलब है की प्यार करने की सजा पाते है
*ये इश्क नहीं आसान, बस इतना समझ लीजिए...
खैर अपना मुद्दा है लव जिहाद
लव अर्थात प्रेम और जिहाद अर्थात बगावत/लड़ाई
”जब हम किसी बुराई के विरोध में लड़ते है तो उसे बुराई के खिलाफ जिहाद कहा जा सकता है"
इस्लाम की आसमानी किताब में कई तरह के जिहाद का वर्णन किया गया है जैसे हमारे गीता में काम (कामना) ,क्रोध ,मद ,लोभ,मोह आदि से लड़ना मेरा मतलब जिहाद करना बताया गया
उम्मीद है तुम जिहाद का मतलब समझ गए
खैर लव जिहाद की बात करे तो
इसमें मुख्य रूप से मना जाता है मुस्लिम लड़का हिन्दू लड़की को बहला फुसला के शादी के लिए राजी करता है और इस प्रक्रिया में मुख्यत लड़की का धर्म परिवर्तन किया जाता हैं
ये बात काफी हद तक सही है लेकिन यह सिक्के का सिर्फ एक पहलू है कोई दूसरे पहलू के बारे में जानता ही नहीं ना ही कोई जानना चाहता है
कभी किसी ने विचार किया ..?
आखिर लडकी का धर्म क्यों बदला जाता है?
भारत में रहने वालो आप स्वयं ही दिमाग लगाओ
जहा अंतर्जातीय विवाह के बाद भी सुरक्षा की जरूरत पड जाती है घर वाले ही दुश्मन बन जाते है ,तो अंतरधार्मिक विवाह से कितने लोग खुश होंगे?
ऐसा नहीं कि भारत के संविधान में अलग अलग धर्म के लोग एक साथ शादी करने का तरीका नहीं
लेकिन ये तरीका बिल्कुल भी काम का नहीं और इसमें जोड़े के हित को ध्यान में नहीं रखा गया।
" कानून के अनुसार जोड़े को जिला मुख्यालय में नोटिस देनी होगी कि वो विवाह करने वाले है और 30 दिन तक दोनों में से किसी के परिवार वाले या कोई सामाजिक ठेकेदारों का संगठन कोई आपत्ति दर्ज नहीं करता तो वह जोड़ा शादी कर सकता है"
लेकिन भारत में कोई ना कोई ऐसा पागल इंसान होता है जो आपत्ति दर्ज कर ही देता है बाकी धार्मिक संगठन भी उंगली करने में कोई कसर नहीं छोड़ते । 99% लोग इस कानून के तहत शादी नहीं करते क्योंकि प्राइवेसी खतरे में होती है और समाजिक दबाव से परिवारों को परेशान किया जाता है।
मेरे शब्दों में सीधा सीधा बोला जाए तो अलग धर्म के लोगो का जोड़ा बनाना कोई आसान काम नहीं ,समाज और परिवार दोनों का सपोर्ट हो तभी सम्भव होता है
दूसरा रस्ता है सस्ता जिसे हम लव जिहादी रस्ता भी कह सकते है इसमें
जोड़े में से किसी एक को वहीं धर्म अपनाना होगा जो दूसरे साथी का है ताकि दोनों का धर्म एक हो और वो आराम से शादी कर सके।
ज्यादातर लड़कियां इसी कानून से खुद का धर्म छोड़ के इस्लाम अपनाती है ताकि शादी हो सके
अभिनेता धर्मेन्द और हेमा जी की शादी भी इसी तरह हुई दोनों ने शादी करने के लिए इस्लाम अपनाया
हिन्दू सिर्फ एक ही शादी कर सकता है लेकिन मुस्लिम में 4 हो सकती हैं इसी शर्त का लाभ पाने के लिए हेमा और धर्मेन्द्र ने धर्म बदल के शादी की
इसी तरह जिसे भी मुस्लिम से शादी करनी होती है वो मुस्लिम बनाई जाती है तब ही निकाह सम्भव होता है
ये तो पता ही होगा कि जितना आसान मुस्लिमो का निकाह उससे भी आसान है तलाक देना
इसी सब के चक्कर में जिन महिलाओं के साथ धोखा होता है वो लव जिहाद का शिकार मानी जाती है।
हिन्दू से मुस्लिम बनना एक आसान प्रक्रिया है लेकिन पुनः हिन्दू बनना आसान नहीं क्योंकि कोई सर्वमान्य तरीका नहीं है
जिससे जुड़े कुछ विचार करने योग्य सवाल है।
1- मान लो कोई लड़का हिन्दू बनना चाहे तो वो कैसे कनवर्ट हो?
2- अगर कोई शुद्धि करन से कनवर्ट हो गया तो किस जाती का हिन्दू बनेगा ?
सवर्ण में 3 जाती है और पता नहीं कितनी ओबीसी में उसके बाद अनुसूचित तथा शेड्यूल ट्राइब
3- चलो ठीक किसी एक जाती में कनवर्ट भी कर लिया कैसे भी तो क्या हमारे समाज के लोग उसे सही इज्जत या सम्मान दे पाएंगे
यहां हम उनको सही रास्ते पर ला नहीं सके जो हमारे अपने है जो हजारों साल पुरानी जतिव्यवस्था को मानते है क्या वो किसी गैर धर्म के इंसान को नया नया हिन्दू बना हो उसे अपना पाएंगे क्या उसे अपनी बेटी देकर रिश्तेदार बना पाएंगे?
मै जितना जानता हू उतने से ये समझ आता है कि अंतर्जातीय विवाह कठिन है तो अंतरधार्मिक विवाह बहुत कठिन।
लवजिहाद समस्या बन चुका है लेकिन इसका मुख्य कारण मुस्लिमो की कट्टरता या जिहाद नहीं है
इसमें दोषी हमारी कानूनी प्रक्रिया है जो special marriage act को useless बना देती है
इसी चक्कर में बड़ी मात्रा में प्रेमी जोड़े धर्म परिवर्तन करते है।
दूसरी समस्या की पुनः हिन्दू बनने के लिए कोई ठोस सर्वमान्य नीति नहीं है।
मेरा मत -
मेरा मानना है कि लव जिहाद कोई धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक समस्या है जब तक यूनिफॉर्म सिविल कॉड नहीं लगता ऐसी घटनाएं कम नहीं होंगी
हम जाती और धर्म देख के प्यार नहीं करते ,हमने सोचा था धीरे धीरे अंतर्जातीय विवाह बढ़ेंगे सरकार प्रोत्साहन देगी तो आगे कभी 30 -40 साल में अंतरधार्मिक विवाह भी करना आसान रहेगा
लेकिन सरकार के कदम देखकर ऐसा नहीं लगता ये भारत अगले 100 साल तक जाती धर्म की राजनीति से मुक्त हो पाएगा।
जय हिन्द
1 Comments
Nice point
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