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             वो पहली नज़र 



मुझे याद है जब क्लास 9th में 2 लडको ने मुझे बताया कि xyz कोचिंग में एक बड़ी ही सुंदर लड़की आई है

वो मुझे इसलिए बता रहे थे क्योंकि मुझे लडकियो के प्रति ज्यादा लगाव नहीं था तो मैंने भी बोल दिया देख लेंगे वो लड़की ही होगी कोई परी नहीं...

खैर मैंने कोचिंग ज्वाइन की और उस सुन्दर मुखमंडल वाली हसीन कन्या के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त किया 

शायद इतनी सुंदर लड़की मैंने सिर्फ फिल्मों में ही देखी थी असली जीवन में नहीं और जिनको देखा था वो मुझसे उम्र में 10 साल बड़ी थी

अपनी हमजोली की इतनी सुंदर लड़की पहली बार ही देखी थी आंखे चौंधिया गई दिल की धड़कन भी तेज हो गई मेरा हावभाव देख के दोस्तो को पता चल गया था कि मुझे वो अच्छी लगी

बात सिर्फ चेहरे की नहीं थी उसकी आवाज और उसकी बुद्धिमत्ता सबकुछ गजब था सच तो ये था कि वो क्लास की टॉपर थी

हालांकि मुझे इंग्लिश की कोचिंग की खास जरूरत नहीं थी फिर भी दिल की हलचल और एडिक्टेड आंखो के चक्कर में कोचिंग ज्वाइन कर ही ली थी अब क्लास में बे इज्जत न होना पड़े इसलिए पढ़ाई भी अच्छी ही चल रही थी बाकी कोचिंग में भी हम साथ ही जाते थे अब स्कूटी और सायकिल का साथ कैसे हो पाता था ये सिर्फ दिल ही जानता है 

कुछ ही दिनों में अंग्रेजी की कोचिंग में मेरी गिनती अच्छे लडको में होने लगी क्योंकि इंग्लिश के प्रति मेरा समर्पण कुछ ज्यादा थी था 1 घंटे की क्लास में 30 मिनट तो मै उस देवी के दर्शन करने का दुर्लभ कार्य ही करता रहता था ।

दुर्लभ इसलिए क्योंकि मै नहीं चाहता था कि किसी को इस बारे में जानकारी हो। यहां तक कि मेरे दोस्तो को भी नहीं। खैर धीरे धीरे उसे भी अहसास हो गया कि कोई नजर हमेशा उसे देखती है 

कई बार उसने मुझे उस को निहारते पकड़ा कई बार मैंने हस के आंखे चुरा ली कई बार उसने भी हस के मुझे अहसास कराया कि वो जानती है कि मै उसे है देख रहा हूं और दो चार बार तो हम दोनों ही एक दूसरे को देखते रहे 40 से 50 सेकेंड तक बस यू ही किसी से बिना कुछ कहे।

क्योंकि मेरे पास तो कुछ कहने लायक था ही नहीं मै तो बस क्लास 9 का औसत विद्यार्थी था ।खैर धीरे से वक्त बीता और हम 10th में आ गए  मै तो अभी भी वही था आज भी मेरी आंखो में वही बसी थी  कई दिनों से उसे नहीं देखा था तो दिल भी कुछ ज्यादा बेताब था खैर जो भी था पढ़ाई अच्छी चल रही थी या कह लो 60% वालो से हटकर मै 80%  वालो में पहुंच गया।

आप को बता दू की  मै  न तो दिखने मै कुछ खास था न ही आर्थिक रूप से पूरा जीवन ही सामान्य ही चल रहा था फिर एकदिन भूचाल आया ।

एक दिन क्लास में सब लोग काफी खुश थे मै भी टीचर के पास ही बैठ के कुछ सवालों के जवाब दे रहा था सब कुछ अच्छा था मै भी बस सब काम ख़तम कर देवी की सुंदरता देखने लगा कि अचानक देवी गरमा गई और क्लास में चिल्लाते हुए मेरी तरफ इशारा करते बोली 

”  ये लड़का मुझे 1 साल से देखता रहता है ....... अगली बार देखा तो....”पूरा वाक्य मुझे न तो याद है न ही मै याद करना चाहता हू

क्योंकि जब वो से सब बोलना चालू करी तब 2 मिनट के लिए मेरा दिमाग सुन्न हो गया था मुझे झटका सा लगा क्योंकि

 मैंने कभी कोई उल्टा कमेंट नहीं किया, कोई गलत इशारा नहीं किया ,अब क्या सिर्फ देखना ही इतना बड़ा जुर्म है कि पूरी क्लास में तमाशा बना दिया जाए।

और फिर गुरुजी ने पूछा कि क्या ये जो कुछ बोल रही सच है????

 मैंने सोचा बेइज्जती तो हो ही गई अब झूट क्या बोलना , मैंने भी हा कर दी  और क्लास छोड़ दी तुरंत शायद बाकी सब से 2 मिनट पहले ही मेरे मुख से कोई शब्द नहीं निकला न अच्छा न बुरा।

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मुझे कई लड़कियों ने मुस्कुरा के देखा मैंने तो कभी नहीं सोचा कि कल उसके बाप से शिकायत करूंगा मुस्कुरा के देखने का जवाब मुस्कुरा कर ही दिया था आज तक 

मुझे पता था कि मै कोई अट्रैक्टिव बन्दा नहीं हू  पर इतनी घनघोर बेइज्जती के लिए तैयार नहीं था ।

कभी कभी ऐसा भी होता है कि हम गुस्सा किसी और पर होते है निकाल किसी और पे देते है अब मुझे नहीं पता उसकी क्या समस्या रही होगी

या छुट्टी के 45 दिनों में ऐसा क्या बदल गया कि वो इतनी ज्यादा नफरत या पागलपन से भर गई 

खैर मुझे उस लड़की से कोई शकायत नहीं न ही उसके लगाए इल्जामों से क्योंकि वो मुझे याद नहीं , बस बुरा लगा उसका तरीका क्योंकि  इस बात की शिकायत टीचर से भी की जा सकती थी और चाहती तो मुझे भी धमकी दे सकती थी पर ऐसे बेज्जती का क्या मतलब ??

खैर 2 दिन तक सरदर्द , गम, विचारो को दुनिया में खो कर मुझे अहसास हो गया था  .... अपनी तो शकल ही खराब है क्योंकि अभी तक मैंने कुछ बुरा काम भी नहीं किया फिर भी जो हुआ है उसका सीधा मतलब कि मै उसे 1% भी पसंद नहीं और 2 दिन बाद फिर से कोचिंग गया ताकि  कोई ऐसा न सोचे कि  मै डर के भाग गया और कई सारे लोग मेरे तरफ भी थे जो मुझे ज्यादा अच्छे से जानते थे उनसे भी मिलना था

खैर जब 31 अगस्त आया तो मैंने कोचिंग छोड़ ही दी और स्वयं ही पढ़ाई कर के उससे ज्यादा नंबर लाएं और उसी कोचिंग में जाकर गुरुजी से आशीर्वाद लिया 

मैंने कोचिंग  इसलिए छोड़ी क्योंकि दिल को तो समझा लिया पर आंखे तो आजतक उसे ही ढूंढती रहती है  

फिर भी वादे के मुताबिक मैंने उसे कभी पहले की तरह नजर भर के नहीं देखा जबकि इंटरमीडिएट तक हम लगभग हर दिन किसी न किसी कोचिंग में टकराते थे मैंने उसे क्लास टेस्ट में नकल भी कराई थी उसके लिए कुर्सियां भी लाया था लेकिन उस को 2 सेकंड से ज्यादा कभी नहीं देखा 

हा खुद के वादे से ज्यादा बड़ा कुछ नहीं इसी के साथ ये भी सीख गया लड़का हैंडसम हो या अमीर लडकी के दिल में जगह बनाने में ज्यादा सफल रहेगा।

खैर उसके बाद ग्रेजुएशन किया मास्टर्स किया लेकिन इन आंखो मै कोई और नहीं बस पाया आज भी आंखे बन्द कर के उसे याद करता हू तो उसकी क्लास 9 वाली छवि ही मन में बनती है ।

लडकियो से मुझे कोई नफरत वगैरह नहीं है बस इतनी सी शिकायत है कि अभी तुमको बहुत कुछ सीखने समझने की जरूरत है लडको के बारे में

मै फेमिनिस्ट नहीं हू पर लडकियो को समान अधिकार हो इस बात का पूरा समर्थन करता हूं पर कई सारी लड़कियां ही नहीं करती क्योंकि उनको समाज ने कुछ ऐसे जकड़ रखा है कि लड़की को आज़ादी से जीना सिखाने वाले लोगो का विरोध लड़कियां ही करती है  

उनको लगता है कोई देख लेगा तो इज्जत घट जाएगी लेकिन कैद में रहना इज्जत में इजाफा करेगा ।

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारे समाज ने लडकियो को वस्तु की तरह ट्रीट किया जाता रहा है आज भी वो किसी की वस्तु बनकर ही रहना चाहती है क्योंकि स्वतंत्रता तो उनको पता ही नहीं क्या होती है?

खैर इस बारे में बात करेंगे अगली कहानी में.....

धन्यवाद.!


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2 Comments

  1. Ohh hme to clg m poore tym ghurte the

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    1. और कभी थकता भी नही था
      पुरानी आदत है ना

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